Thursday, August 4, 2011

प्यारी मम्मी की बीमारी हमें पता है

भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी नुक्कड़ मे जिम टाईप शरीर हिला रहे थे। हम पूछ बैठे क्यों भाई अन्ना के आंदोलन को कुचलने की तैयारी है क्या।  शर्मा जी ने पूछा - कौन अन्ना भाई,  हमने कहा सोलह अगस्त आने दो कलमाड़ी टाईप  याददाश्त वापस आ जायेगी।  शर्मा जी ने सिर हिलाया - मियां तुम भी कहां लगे हो,  इतना सेना पुलिस को तनख्वाह काहे दिया जाता है।  उनका सरदर्द है वो संभालेंगे सुप्रीम कोर्ट मे बात जायेगा तो जवाब भी वही लोग देंगे। हम लोग काहे सर दुखायें बाकी संसद तो चल ही रही है,  विपक्षी भी अपने ही टाईप के लोग हैं जो पूछते हैं जवाब दे दिया जाता है।

हमने पूछा फ़िर तैयारी कहां की है आपकी, तो जवाब मिला भाई कभी भी अमेरिका जाना पड़ सकता है। अपनी प्यारी मम्मी बीमार हैं, वहां भर्ती हैं। हम आश्चर्य मे पड़ गये,  कहा - हमे तो पता ही नही था कब बीमार हुयीं और बीमारी क्या है। शर्माजी ने कहा- वह नही बता सकते। हमने पूछा ये कौन सी बात हुयी भाई बीमारी का नाम बताओगे तो लोग सलाह देंगे,  एक से एक थिंकटैंक हैं देश मे। अपना बाबा भी खाली है आजकल,  पतंजली मे ही भरती करवा देंगे। ईडी से लेकर सीबीआई तक सारों ने दफ़्तर भी खोल रखे हैं।  वहां काम काज मे कोई दिक्कते नही आयेगा। और लगे हाथ बाबा से दोस्ती भी हो जायेगी। शर्मा जी बोले-  नही भाई, अमेरिका ही सही हैं वहां अच्छा इलाज होता है। हमने पूछ लिया-  साठ साल के सुशासन के बाद भी भारत मे अच्छे डाक्टर नही बना पाये क्या?  या अस्पतालों की हालत ऐसी नहीं की मम्मी का इलाज हो सके।  बाहर तो बड़े एड देते हो सीएनएन को बीबीसी को कि भारत मे मेडिकल टूरिज्म है,  सस्ता और बेहतरीन इलाज होता है। शर्मा जी ने तर्क दिया - नयी तकनीक आयी है अमेरिका मे, अभी अभी अविष्कार हुआ है। हम ने कुतर्क जड़ दिया-  भाई तकनीक भारत मे आयात कर लो मम्मी के बहाने लगे हांथ गरीबो का भला हो जायेगा मम्मी ।

शर्मा जी ने कहा भाई जल्दबाजी में इलाज करवाना पड़ गया,  वैसे आपका आईडीया अच्छा है आगे हम अपनाएंगे। हमने कहा बीमारी का नाम तो बता दो भाई। शर्मा जी भुनभुनाये-  नही बता सकते देश मे अराजकता फ़ैलने का खतरा  है।  आसाराम बापू को गिरफ़्तार करने जैसे हालात हो जायेंगे।  हमने कहा हमको  पता है उस भयंकर बीमारी का नाम अन्ना हजारेस लोकपालाईटिस है।  आंदोलन कहीं भड़क गया,  कुचलने की नौबत आ गयी।  तो आपकी मम्मी तो रहेंगी नही वो तो बेहोश होंगी उस समय।  जब होश आयेगा तो उन्हे बड़ा अफ़सोस होगा,  हो सकता है गुस्से मे आकर दो चार मंत्रियों को बाहर भी निकाल दें।  बाबा और दीदी भी बाहर ही रहेंगे उस समय बड़ा जबर्दस्त समय है बीमार पड़ने के लिये।

शर्मा जी भड़क गये-   आपको शर्म नही आती ऐसी बातें करते हुये।  हमने कहा-  शर्मा जी,  शर्मा शर्मा के हम अब बेशरम हो गये हैं। किस किस चीज पर शर्माएं घोटालो पर , गरीबी पर,  संसद पर लहराते नोटो पर,  तिहाड़ मे बल खाते नेताओं पर या तुम्हारे नेताओ की चोरी के बाद सीनाजोरी पर।  यह सोच मेरी नही है भाई यह सोच बनाई गयी है,  आप लोगों के द्वारा आप अन्ना के आंदोलन को असफ़ल करने के लिये किस हद तक जा सकते हो सोच पाना भी मुश्किल है। और एक बात और सुन लो जो आवाजें आपको आज सुनाई पड़ रही हैं।  वो अन्ना के  समर्थन की नही हैं आपके असमर्थन की हैं।  देश  पिछली बेईमानियों का हिसाब नही मांग रहा है, आगे से न हो पायें इसके लिये आपके हाथ जोड़ रहा है। आप लोग  एकदम कड़े कानून के साथ खड़े हो जाओ कोई झांकेगा भी नही अन्ना के आंदोलन पर।  सरकार की असफ़लता देश को अराजकता की ओर धकेल रही है।

हम आगे कुछ कहते कि शर्मा जी ने रोका,  संविधान दिखाया और कहा-  देखो इसमे साफ़ साफ़ लिखा है हमें सिर्फ़ संसद मे कही बात सुनना है।  और केवल सांसदो के सवाल का जवाब देना है। आप खड़े चिल्लाते रहो तब तक हम अपनी प्यारी मम्मी के स्वास्थ लाभ की पूजा पूरी कर आते हैं।





इतना कह शर्मा जी निकल लिये और हम खड़े खड़े सोचते रह गये कि प्यारी मम्मी अपने साथ लोकतंत्र को भी अमेरिका ले जातीं तो दोनो की सर्जरी एक साथ हो जाती, बिल तो आखिर जनता को ही भरना है


Wednesday, August 3, 2011

क्वीन मदर और लार्ड मन्नू बेटन सिंग

नुक्क्ड़गंज के कांग्रेसमेन सर सोहन शर्मा अपनी कांस्टीटुएन्सी नुक्कड़गंज पधारे हुये थे। वे स्वयं क्वीन मदर हर एक्सीलेंसी सोनियाबेथ के द्वारा नामांकित किये गये प्रतिनिधी थे।  उन्होने प्रजा का हाल जानने की इच्छा से सर सोहन शर्मा को भेजा था।  नुक्कड़गंज पहुंचते ही उन्हें हमने घेर लिया   महंगाई, भ्रष्टाचार, घोटालों की पूरी कथा सुनाई, यह भी कहा कि वायसराय लार्ड मन्नू बेटन सिंग अपना कर्तव्य निभाने में असफ़ल रहें हैं।

मन्नू बेटन सिंग के लिये लार्ड और वायसराय का संबोधन सुनते ही वे भड़क गये।  कहने लगे दवे जी आजादी के बाद ऐसे शब्दो का प्रयोग करने पर आप को जेल की सजा हो सकती है।   हमने हाथ जोड़ माफ़ी मांगी, पूछा क्या संबोधन का प्रयोग करें हुजूर।  उन्होनें बताया कि आजादी के बाद लार्ड की जगह आदरणीय और वायसराय की जगह प्रधानमंत्री शब्द का प्रयोग करना तय किया गया है।  हमने सहमते हुये पूछ लिया पर हुजूर आजादी तो हम को मिली नही आज तक।

वे फ़िर भड़क गये आपका दिमाग तो खराब नही हो गया!  लार्ड माउंटबेटन की जगह आदरणीय मन्नूबेटन सिंग आ गये,  क्वीन एलिजाबेथ की जगह क्वीन सोनियाबेथ आ गयीं।  लूट का पैसा ब्रिटेन नही जा रहा,  चुनाव होते हैं,  संविधान बन गया।  और कैसी आजादी चाहिये आप लोगों को।  हमने धीरे से कहा चुनाव तो तथाकथित आजादी के पहले भी होते थे।  संविधान भी था और आज का संविधान तो 99% उस संविधान से मिलता है| खाली मामूली हेरफ़ेर कर देने से संविधान नया थोड़े ही हो जाता है।  घोटाले और लूट भी हो ही रही है,  पैसा तो आज भी जा रहा है ब्रिटेन के बदले स्विटजरलैंड।

सर सोहन शर्मा फ़िर नाराज हो गये, अरे पूरी दुनिया मे अच्छे नियम तो एक जैसे ही होते हैं कि नहीं।  अरे भाई जब सही नियम मुफ़्त मे मिल रहें हों,  कोई क्यों खर्चा करे उन्ही नियमो को बनवाने के लिये।  चुनावों मे कितना सुधार हो गया है।  एक से एक राजवंश सामने रहते हैं स्व्यंवर मे,  जिसको मर्जी माला पहना दो। ये थोड़े है कि कोई हाथ पकड़ रहा है।  अब आप लोगो को यूरोपीय क्वीन ही अच्छी लगती हैं,  तो क्या गलती क्वीन की है। अब तो उन्होने आधे भारतीय और दिखने मे पूरे यूरोपीय राजकुमार राजकुमारी भी दे दिये हैं।   एहसान मानना छोड़ शिकायत करते हो शर्म नही आती।  और लूट कहते हो अरे भाई पूरा साम्राज्य ही जिसका है,  वो क्यों लूटेगा भला।  आप अपने घर मे चोरी करते हो क्या,  घर आपका पैसा आपका जितना मर्जी ले लो कौन रोकेगा आपको।  रही बात विदेशो मे पैसा जमा करने की, तो सारे पैसे देश मे रखना ठीक नही। जाने कब देश भूकंप मे तबाह हो जाये,  सारे पैसे पानी में डूब जाये सो कुछ पैसे विदेश में जमा रखते हैं,  आड़े वक्त के लिये ।

हम फ़िर भुनभुनाये चलो क्वीन मदर जो चाहे खर्चा करें,  उनके परिवार जन जितना चाहे ले लें पर बाकियों के भ्रष्टाचार पर तो रोक लगनी चाहिये न।  सर सोहन शर्मा मुस्कुराये - बोले, आपने इतिहास नही पढ़ा क्या भाई । हर राजा रानी के पास सामंत मंत्री होते हैं, अब वे  अपने खर्चों के लिये  क्वीनमदर को परेशान करें,  यह भी तो सही नहीं।  इसलिये सभी को जागीरें दे दी गयीं हैं।  किसी को कोयला किसी तेल किसी को परिवहन,  वे  जब खर्चे से ज्यादा पैसा लेकर गड़बड़ी करते हैं,  नाम क्वीन मदर का खराब हो जाता है।  ऐसे सामंतो को पकड़े जाने पर जेल भेज दिया जाता है।  हर राजमहल मे एक दो मुहलगे सामंत भी होते हैं,  जैसे अपनी शीलादीत जीं , चिद्दीबम जी, कुटिल जी । अब उनको ही जेल भेज दें,  तो क्वीन मदर का दिल ही न लगे,  इस लिये माफ़ कर देतीं हैं।  वैसे भी उनकी रहमदिली से तो आप भी वाकिफ़ हो।

हम कुछ कहते उसके पहले सर सोहन शर्मा हमें बोले - यार क्यों अपना और लोगो का दिमाग खराब करते हो  अखबार खोल ले विज्ञापन की व्यवस्था करवा दी जायेगी,  खा पी मजे कर। नही मानना और कोसना ही है,  तो भगवान को कोसा करो।  राज करने का काम उन्होने ही राजवंशो और सामंतो को सौंपा है।  अगर तुम्हारा भला करने की चाहते तो क्वीन मदर के यहां जन्म नही करवा देते ।