भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी नुक्कड़ मे जिम टाईप शरीर हिला रहे थे। हम पूछ बैठे क्यों भाई अन्ना के आंदोलन को कुचलने की तैयारी है क्या। शर्मा जी ने पूछा - कौन अन्ना भाई, हमने कहा सोलह अगस्त आने दो कलमाड़ी टाईप याददाश्त वापस आ जायेगी। शर्मा जी ने सिर हिलाया - मियां तुम भी कहां लगे हो, इतना सेना पुलिस को तनख्वाह काहे दिया जाता है। उनका सरदर्द है वो संभालेंगे सुप्रीम कोर्ट मे बात जायेगा तो जवाब भी वही लोग देंगे। हम लोग काहे सर दुखायें बाकी संसद तो चल ही रही है, विपक्षी भी अपने ही टाईप के लोग हैं जो पूछते हैं जवाब दे दिया जाता है।
हमने पूछा फ़िर तैयारी कहां की है आपकी, तो जवाब मिला भाई कभी भी अमेरिका जाना पड़ सकता है। अपनी प्यारी मम्मी बीमार हैं, वहां भर्ती हैं। हम आश्चर्य मे पड़ गये, कहा - हमे तो पता ही नही था कब बीमार हुयीं और बीमारी क्या है। शर्माजी ने कहा- वह नही बता सकते। हमने पूछा ये कौन सी बात हुयी भाई बीमारी का नाम बताओगे तो लोग सलाह देंगे, एक से एक थिंकटैंक हैं देश मे। अपना बाबा भी खाली है आजकल, पतंजली मे ही भरती करवा देंगे। ईडी से लेकर सीबीआई तक सारों ने दफ़्तर भी खोल रखे हैं। वहां काम काज मे कोई दिक्कते नही आयेगा। और लगे हाथ बाबा से दोस्ती भी हो जायेगी। शर्मा जी बोले- नही भाई, अमेरिका ही सही हैं वहां अच्छा इलाज होता है। हमने पूछ लिया- साठ साल के सुशासन के बाद भी भारत मे अच्छे डाक्टर नही बना पाये क्या? या अस्पतालों की हालत ऐसी नहीं की मम्मी का इलाज हो सके। बाहर तो बड़े एड देते हो सीएनएन को बीबीसी को कि भारत मे मेडिकल टूरिज्म है, सस्ता और बेहतरीन इलाज होता है। शर्मा जी ने तर्क दिया - नयी तकनीक आयी है अमेरिका मे, अभी अभी अविष्कार हुआ है। हम ने कुतर्क जड़ दिया- भाई तकनीक भारत मे आयात कर लो मम्मी के बहाने लगे हांथ गरीबो का भला हो जायेगा मम्मी ।
शर्मा जी ने कहा भाई जल्दबाजी में इलाज करवाना पड़ गया, वैसे आपका आईडीया अच्छा है आगे हम अपनाएंगे। हमने कहा बीमारी का नाम तो बता दो भाई। शर्मा जी भुनभुनाये- नही बता सकते देश मे अराजकता फ़ैलने का खतरा है। आसाराम बापू को गिरफ़्तार करने जैसे हालात हो जायेंगे। हमने कहा हमको पता है उस भयंकर बीमारी का नाम अन्ना हजारेस लोकपालाईटिस है। आंदोलन कहीं भड़क गया, कुचलने की नौबत आ गयी। तो आपकी मम्मी तो रहेंगी नही वो तो बेहोश होंगी उस समय। जब होश आयेगा तो उन्हे बड़ा अफ़सोस होगा, हो सकता है गुस्से मे आकर दो चार मंत्रियों को बाहर भी निकाल दें। बाबा और दीदी भी बाहर ही रहेंगे उस समय बड़ा जबर्दस्त समय है बीमार पड़ने के लिये।
शर्मा जी भड़क गये- आपको शर्म नही आती ऐसी बातें करते हुये। हमने कहा- शर्मा जी, शर्मा शर्मा के हम अब बेशरम हो गये हैं। किस किस चीज पर शर्माएं घोटालो पर , गरीबी पर, संसद पर लहराते नोटो पर, तिहाड़ मे बल खाते नेताओं पर या तुम्हारे नेताओ की चोरी के बाद सीनाजोरी पर। यह सोच मेरी नही है भाई यह सोच बनाई गयी है, आप लोगों के द्वारा आप अन्ना के आंदोलन को असफ़ल करने के लिये किस हद तक जा सकते हो सोच पाना भी मुश्किल है। और एक बात और सुन लो जो आवाजें आपको आज सुनाई पड़ रही हैं। वो अन्ना के समर्थन की नही हैं आपके असमर्थन की हैं। देश पिछली बेईमानियों का हिसाब नही मांग रहा है, आगे से न हो पायें इसके लिये आपके हाथ जोड़ रहा है। आप लोग एकदम कड़े कानून के साथ खड़े हो जाओ कोई झांकेगा भी नही अन्ना के आंदोलन पर। सरकार की असफ़लता देश को अराजकता की ओर धकेल रही है।
हम आगे कुछ कहते कि शर्मा जी ने रोका, संविधान दिखाया और कहा- देखो इसमे साफ़ साफ़ लिखा है हमें सिर्फ़ संसद मे कही बात सुनना है। और केवल सांसदो के सवाल का जवाब देना है। आप खड़े चिल्लाते रहो तब तक हम अपनी प्यारी मम्मी के स्वास्थ लाभ की पूजा पूरी कर आते हैं।
इतना कह शर्मा जी निकल लिये और हम खड़े खड़े सोचते रह गये कि प्यारी मम्मी अपने साथ लोकतंत्र को भी अमेरिका ले जातीं तो दोनो की सर्जरी एक साथ हो जाती, बिल तो आखिर जनता को ही भरना है।
हमने पूछा फ़िर तैयारी कहां की है आपकी, तो जवाब मिला भाई कभी भी अमेरिका जाना पड़ सकता है। अपनी प्यारी मम्मी बीमार हैं, वहां भर्ती हैं। हम आश्चर्य मे पड़ गये, कहा - हमे तो पता ही नही था कब बीमार हुयीं और बीमारी क्या है। शर्माजी ने कहा- वह नही बता सकते। हमने पूछा ये कौन सी बात हुयी भाई बीमारी का नाम बताओगे तो लोग सलाह देंगे, एक से एक थिंकटैंक हैं देश मे। अपना बाबा भी खाली है आजकल, पतंजली मे ही भरती करवा देंगे। ईडी से लेकर सीबीआई तक सारों ने दफ़्तर भी खोल रखे हैं। वहां काम काज मे कोई दिक्कते नही आयेगा। और लगे हाथ बाबा से दोस्ती भी हो जायेगी। शर्मा जी बोले- नही भाई, अमेरिका ही सही हैं वहां अच्छा इलाज होता है। हमने पूछ लिया- साठ साल के सुशासन के बाद भी भारत मे अच्छे डाक्टर नही बना पाये क्या? या अस्पतालों की हालत ऐसी नहीं की मम्मी का इलाज हो सके। बाहर तो बड़े एड देते हो सीएनएन को बीबीसी को कि भारत मे मेडिकल टूरिज्म है, सस्ता और बेहतरीन इलाज होता है। शर्मा जी ने तर्क दिया - नयी तकनीक आयी है अमेरिका मे, अभी अभी अविष्कार हुआ है। हम ने कुतर्क जड़ दिया- भाई तकनीक भारत मे आयात कर लो मम्मी के बहाने लगे हांथ गरीबो का भला हो जायेगा मम्मी ।
शर्मा जी ने कहा भाई जल्दबाजी में इलाज करवाना पड़ गया, वैसे आपका आईडीया अच्छा है आगे हम अपनाएंगे। हमने कहा बीमारी का नाम तो बता दो भाई। शर्मा जी भुनभुनाये- नही बता सकते देश मे अराजकता फ़ैलने का खतरा है। आसाराम बापू को गिरफ़्तार करने जैसे हालात हो जायेंगे। हमने कहा हमको पता है उस भयंकर बीमारी का नाम अन्ना हजारेस लोकपालाईटिस है। आंदोलन कहीं भड़क गया, कुचलने की नौबत आ गयी। तो आपकी मम्मी तो रहेंगी नही वो तो बेहोश होंगी उस समय। जब होश आयेगा तो उन्हे बड़ा अफ़सोस होगा, हो सकता है गुस्से मे आकर दो चार मंत्रियों को बाहर भी निकाल दें। बाबा और दीदी भी बाहर ही रहेंगे उस समय बड़ा जबर्दस्त समय है बीमार पड़ने के लिये।
शर्मा जी भड़क गये- आपको शर्म नही आती ऐसी बातें करते हुये। हमने कहा- शर्मा जी, शर्मा शर्मा के हम अब बेशरम हो गये हैं। किस किस चीज पर शर्माएं घोटालो पर , गरीबी पर, संसद पर लहराते नोटो पर, तिहाड़ मे बल खाते नेताओं पर या तुम्हारे नेताओ की चोरी के बाद सीनाजोरी पर। यह सोच मेरी नही है भाई यह सोच बनाई गयी है, आप लोगों के द्वारा आप अन्ना के आंदोलन को असफ़ल करने के लिये किस हद तक जा सकते हो सोच पाना भी मुश्किल है। और एक बात और सुन लो जो आवाजें आपको आज सुनाई पड़ रही हैं। वो अन्ना के समर्थन की नही हैं आपके असमर्थन की हैं। देश पिछली बेईमानियों का हिसाब नही मांग रहा है, आगे से न हो पायें इसके लिये आपके हाथ जोड़ रहा है। आप लोग एकदम कड़े कानून के साथ खड़े हो जाओ कोई झांकेगा भी नही अन्ना के आंदोलन पर। सरकार की असफ़लता देश को अराजकता की ओर धकेल रही है।
हम आगे कुछ कहते कि शर्मा जी ने रोका, संविधान दिखाया और कहा- देखो इसमे साफ़ साफ़ लिखा है हमें सिर्फ़ संसद मे कही बात सुनना है। और केवल सांसदो के सवाल का जवाब देना है। आप खड़े चिल्लाते रहो तब तक हम अपनी प्यारी मम्मी के स्वास्थ लाभ की पूजा पूरी कर आते हैं।
इतना कह शर्मा जी निकल लिये और हम खड़े खड़े सोचते रह गये कि प्यारी मम्मी अपने साथ लोकतंत्र को भी अमेरिका ले जातीं तो दोनो की सर्जरी एक साथ हो जाती, बिल तो आखिर जनता को ही भरना है।